वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग, पार से उपहार<br />१७ नवम्बर, २०१८<br />दिल्ली<br /><br />प्रसंग:<br />मन चाहकर भी क्यों नहीं बदल पाता?<br />पुरानी आदतें आसानी से क्यों नहीं छूटती हैं?<br />पुराने से आसक्ति कैसे हटाए?<br />क्या पुराने आदतें को छोड़ना आवश्यक है?<br />आदत के सामने विवेक विवश होता क्यों दिखाई पड़ता है?<br />हम सोचते हैं खुद को बदलना है मगर बदल क्यों नहीं पाते हैं?<br />हमारी दिनचर्या में चाह कर भी बदलाव क्यों नहीं आ रहा?<br />क्या दिनचर्या को बदला जा सकता है?<br />अपनी दिनचर्या को बदलने के लिए क्या उपाय करना चाहिए?<br />क्या करें जब नए की चाह तो हो, लेकिन पुराने से आसक्ति भी गहन हो?